शुन्य शुन्य

शुन्य शुन्य

डर डर पैदा कर
कलयुग कह के सौदा कर
धर्म का राज मानवता पर
इस पाप पुण्य के खेल मे तु मर मर मर

तु क्यु नहि करता पुण्य कह कर ये अंधे भक्त से झुंड बन जायेंगे
फिर खुद को रक्षक बनाकर तुम्हारा भक्षण कर आयेंगे

पुण्य पुण्य तु करता रह वरना पाप का घडा भरता रहेगा
दान धर्म किया कर वरना सुली पे तु
चढ जायेगा

आज कह कर पाप पुण्य धर्म के गुंडे पैदा कर
ये दान कर तु वो पायेगा
वो दान कर तु ये पायेगा
इस पाने पाने के चक्कर मे तु अंधा बन खो जायेगा

पाप पुण्य के ये साप कल गौमाता से लिपट जायेंगे
दान धर्म छोडछाड के नफरत का अफु  चटक खायेंगे

ये देने से  मिलेगा स्वर्ग
वो देने से  मिलेगा नर्क
निस्वार्थ मानव बन के जी के तो देख इस पल मे
यहि कण कण मानव मानव तुझे मिलेगा स्वर्ग स्वर्ग

क्यु बांध लिया तुने खुद को इस पाप पुण्य के बेडि मे
कुछ पाने के लिये तु दान करता रहेगा फसता रहेगा चार युगो कि घडि मे

उठा के फेंक दे ये कुछ पाने वाला नकाब
सदियो से पीता आया तु पाप पुण्य कि झहरिली शराब

मत फस रे इस दल दल मे ये पाप पुण्य तुझे गटक जायेंगे
डर के रक्तरंजित युध्द मे तुझे पटक आयेंग
आज खुब कहेंगे दान धर्म पाप पुण्य
तु सडता सदियो तक जकडा रहेगा
इस भ्रष्ट खेल मे जितता शुन्य शुन्य....

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