क्या खाक अडा है


भाषासे  मेरा क्या खाक अडा है
आसुसे लेकर हसी तक शब्द कहा जरूरी पडा है
बस चंद अवसरवादियो का गुरुर उमडा है

धर्मसे मेरा क्या खाक अडा है
पैदाईश से लेकर मौत तक पुरा तो उसने निचोडा है
बस चंद सरफिरे आर्यो ने खेल वर्चस्व का ताडा है

परंपरासे मेरा क्या खाक अडा है
चाबूकसे नोचा बैल को और मिर्चीको आंखमे घुसाडा है
मनोरंजनके नाम पे सभ्यतानेहि अब यहाँपे दम तोडा है
संस्कृतीके नाजुक आइनेपर रक्षको का हतोडा है

लोगोको समझाते बुझाते मेरा क्या खाक अडा है
हुक्मशाह को भगवान बना दे ऐसा तो पागल जमावडा है

तीन शब्द गरिबीके बक दे तो तालियो का नगाडा है
जोकर तो संसदमे पडे है युहि नहि सर्कस सुना पडा है

देशभक्ति के झाकवाले साबुनसे हरएक को रगडा है
कभी राम कभी अल्लाहके नाम पे चुनाव यहाँका लढा है

दिल्लीके हुक्मशाहके प्लेटमे शाहि पुलाव और फापडा है
पालघर पुरे जिल्हेमे आज भी भुकमरि का भुकंप पडा है
आधी आबादी आजभि बस भाकरीका मांगता तुकडा है
पहले धर्मसे झुकाते थे अब राष्ट्रवादसे झुटा नाता जोडा है

बहोत शातीर है ये शतरंज के खिलाडि
वजीरने जो यहाँ राजा कोहि तोडामरोडा है

मत पड रे इस झमेलोमे तेरा कहा इनसे अडा है
आज भोकेंगे कट्टर राष्ट्रवाद कल देखना हिटलर यहि पे खडा है

धर्म जाती भाषाके नामपे दुकान अपना चढाया है
भावनाओके रुपैय्येसे हमनेहि तो इसे बढाया है

कुछ अडा है तेरा तो सांसो तु अडा है
विषभरी हवाओ से गाव अब ये सडा सडा  है
कुछ अडा है तेरा तो शुद्ध पाणीसे तु अडा है
मैला कचऱा अस्थियोको ढोकर गोदावरी ने आज अपनाहि श्राद्ध गढा है

कुछ अडा है तेरा तो मकानसे तु अडा है
झुग्गि झोपडीयोसेहि तो गरिबी का भाव बढा है

कुछ अडा है तो रोजीरोटिसे तु अडा है
उनके बच्चे फारेन मे और तु अब भी ट्वीटर फेसबुकपे सडा है

ना कर होमहवन भगवानबाजि  वक्त का इससे क्या अडा है
एक हातसे सेक रोटि एक हातसेे सिखा बेटि बस यहि तेरा आखाडा है

भाऊ,चेहरेपे ना जाया करो नथुरामने आज गांधीका पेहना मुखडा है
खुनचुस खटमलोपे आज खादि का कुर्ता चढा है

तो भाऊ बात समझलो इत्तिसी
कट्टर जात ,धर्म ,राष्ट्र नाम लगालो कुछभी

इनसे ना कुछ तेरा अडेगा ना अडा है
इतनी पिढीया हजम करली फिर भी आज व्यक्तिपुजा का भुत खडा है
इनको तो बस रक्तरंजित युध्द खेलने का शौक जडा है

किसी नायक नेता हिरो भगवान से तेरा क्या खाक अडा है
तु निर्भीड निश्चियी कदम बढा पिछे तेरे समा खडा है
फिझुल मे मत अटक मस्तको के झुंड मे
रोटि कपडा मकान स्वतंत्रता बस इसिमे तु भिगता रहे जीवन के जलकुंड मे...जलकुंड मे...

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