वफाईं मेरी शानदार निकली
कोई शिकवा नहिं तुमसे
महरुमी मेरी वफादार निकली...
तेरी फितरत थी बेवफाई...
वफाई मेरी शानदार निकली...
किस शिद्द्त से तुने ये जखम दिए...
हर दवा हर दुवा बेअसरदार निकली...
तुने समझा कि ये आशिक है मजाज़ी...(मजाजी- फाल्तु)
आशिकी मेरी दर्जे कि दावेदार निकली...
तुझको मुबारक मौसम नये बहार के...
मेरी जमीन हि जब ख़ार-दार निकली...(खारदार- बंजर)
न आये तेरी कोई खबर कभी...
मेरी तो हालत मिस्मार निकली... (मिस्मार - तबाहि)
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