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Showing posts from 2017

तुम्हि हो पापी

तुम्ही हो पापी सब तुम्हारी गलती तुम वहा क्यु गयी तुमने ये क्यु पहना  तुमने वहा क्यु देखा तुमने यहा क्यु बैठा तुम क्यु हंसी  तुम ऐसी तुम वैसी हमने देखा था हम ने सुना था हम ने ...

कर सको तो करो

ये गंगा जमुना तेहजिब है यहाँ कि गंगा से जमुना अलग कर सको तो करो.. अकबर टिपु को भले निकाल दो किताबो से जो उर्दु को हिंदि से अलग कर सको तो करो... फितरत है आपकि लढवानेकि धोती को पठाणी ...

एकटा

म्हणायला तर लाख तार्यांचा परिवार मोठा किती डाग बेईमानीचे गिळुन उभा तो चंद्र होता सोबत अन साथ यातला फरक त्यालाच तर ठाऊक होता सोबतीला त्याच्या भलेहि लाख चांदण्या पण साथि...

मृगजळच असतात काहि लोक

लांबुन किती गोड भासतात जवळ आल्यावर टोचतात सुरुवातीला भरभरून गप्पा मारतील नात जुन झाल्यावर गृहितच धरतील मृगजळच असतात काहि लोक बंदच पडुन जात डोक नेहमी कोण म्हणत बोलाच अ...

हर चीज कि यहाँ एक अनसुनी दास्ताँ है

तिसरी मंजिल पर जो मेरा एक कमरा है धुल हि धुल का बस उसपे पेहरा है कोनेकोनेसे सदियोकि दबी आवाजो का चिल्लाता जत्था है सच कहूँ हर चीज कि यहाँ एक अनसुनी दास्ताँ है दरवाजे का तो पू...

क्या खाक अडा है

भाषासे  मेरा क्या खाक अडा है आसुसे लेकर हसी तक शब्द कहा जरूरी पडा है बस चंद अवसरवादियो का गुरुर उमडा है धर्मसे मेरा क्या खाक अडा है पैदाईश से लेकर मौत तक पुरा तो उसने निचोडा ...